मकर संक्रांति का महत्व
सूर्य मकर राशि में पहुँचने पर मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। 15 जनवरी, कल मकर संक्रांति है। माना जाता है कि सूर्य देव इस दिन अपने पुत्र शनि से मिलने आते हैं। इस पर्व में सूर्य और शनि का संबंध होता है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।
मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है और कब है ?
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान बहुत महत्वपूर्ण हैं। 14 या 15 जनवरी को यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। देश भर में इस उत्सव को कई नामों से जाना जाता है। यद्यपि, चंद्रमा की विभिन्न परिस्थितियों के आधार पर मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक यह है। गणना सौर कैलेंडर के बजाय चंद्र कैलेंडर से की जाती है। दिन बड़े होने लगते हैं और रात छोटी होने लगती है,
इस दिन दिन और रात बराबर होने से वसंत ऋतु आता है। वर्तमान मकर संक्रांति को लेकर लोगों में अस्पष्टता है। 14 जनवरी या 15 जनवरी को होना चाहिए।
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
15 जनवरी को पंचांग और ज्योतिषियों ने मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्यदेव इस दिन प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस मौके पर शुभ मुहूर्त यह होगा:
मकर संक्रांति पुण्यकाल – प्रातः 07:15 मिनट से सायं 06: 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल –प्रातः 07:15 मिनट से प्रातः 09: 06 मिनट तक
मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। आइए जानते हैं किस विधि से करें मकर संक्रांति पर पूजा।
- पूजा करने के लिए सबसे पहले उठकर साफ सफाई कर लें।
- इसके बाद अगर संभव हो तो आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान करें यदि ऐसा न कर पाएं तो घर में ही गंगाजल मिलकर स्नान कर लें।
- आचमन करके खुद को शुद्ध कर लें।
- इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, तो पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद सूर्य चालीसा पढ़े और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
- अंत में आरती करें और दान करें।
- इस दिन दान करने का खास महत्व माना गया है।
मकर संक्रांति पर क्या खाते हैं?