हमारी सनातन धर्म में नाग पंचमी को बहुत ही महत्त्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है जब नागलोक से हमारा संबंध जोड़ा जाता है इस दौरान विभिन्न प्रकार की चीजें भी की जाती हैं और विशेष रूप से नाग मंदिरों में या भगवान शिव के नाग स्वरूप में उनकी पूजन अर्चन भी किया जाता है ।
इस त्यौहार का महत्व क्यों मनाया जाता है और उससे जुड़ी कहानियां क्या-क्या है कैसे पूजा करेंगे?
सारी विधान के विषय में मैं आज आपको बताऊ तो जैसे कि हम लोग जानते हैं कि इस वर्ष 2024 में नाग पंचमी शुक्रवार अगस्त 9, 2024 को मनाई जाएगी और नाग पंचमी की जो पूजा का मुहूर्त है वो 5:35 एएम से लेकर के 8:10एम तक मतलब कि शुभ मुहूर्त जो है वह 2 घंटा और 39 मिनट का है हालांकि तिथि जो है वह 12:36 एएम पे शुरू होगी और पंचमी तिथि जो है वह 3:10 एम को अगले दिन खत्म होगी तो नाग पूजा संबंधित वैसे पूजन आप पूरे दिन कर सकते हैं कभी भी कर सकते हैं लेकिन विशेष शुभ मुहूर्त मैंने आपको बताया है उसमें आपको करने से ज्यादा फल आपको मिलता है तो यह तो बात हो गई नागपंचमी से जुड़ी हुई अब हम यह त्यौहार मनाते कहां-कहां है यह त्यौहार हिंदुओं का त्यौहार इसलिए भारत नेपाल और दक्षिण एशियाई कुछ देशों में मनाया जाता है यह त्यौहार श्रावण महीने की यानी कि जुलाई अगस्त के समय में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है उनका सम्मान किया जाता है नाग पंचमी का महत्व जो है वह इस दिन नाग देवता की पूजा दी जाती है क्योंकि वे भगवान शिव के गले की हार माने जाते हैं और हिंदू धर्म में उनका विशेष विशेष रूप से सर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी पर इस दोष से काने के लिए भी पूजा की फसलों की सुरक्षा के लिए भी किसान लोग अपनी फसलों की सर्पों से सुरक्षित रखने के लिए नाग देवता की पूजा करते हैं।
नाग देवता का पूजन कैसे करे?
पर्यावरण संरक्षण के लिए भी नाग पंचमी का विशेष महत्व है और यह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी पूजा की विधि की विषय बात करें तो पूजा के लिए आप स्वच्छ स्थान का चयन करें वहां पर नाग देवता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें पंचामृत स्नान कराएं नाग देवता को यानी कि दूध दही घी शहद और शक्कर से स्नान कराना चाहिए जो उनकी मूर्ति हो जो चांदी वगैरह की बनी हो तो उत्तम मान पूजन सामग्री में फूल धूप दीप नैवेद्य और नारियल इत्यादि से पूजित करें मंत्र स्त्रोतों में आप भगवान शिव से जुड़े हुए कोई भी मंत्र या फिर भगवान के नागेश्वर स्वरूप से या स्वयं नाग देवता के कुछ मंत्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है नैवेद्य अर्पण में आप प्रसाद इत्यादि का वितरण नाग पंचमी से जुड़ी हुई कई सारी कथाएं हमको मिलती है और नाग पंचमी के दौरान कुछ चीजें ना करने के लिए कहा जाता है इसमें इस दिन भूमि को ना खोदने की परंपरा है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे सर्पों को कष्ट हो सकता है सर्पों को नुकसान भी आपको नहीं पहुंचाना होता है क्योंकि सर्प भी मित्र माना जाता है किसान का व्यक्ति जब तक य आप उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएंगे वह कभी आपको काटते नहीं बल्कि वह चूहों इत्यादि और जहरीले कीड़े मकोड़ों इत्यादि को खाकर चीजों को सुरक्षित बनाते हैं आपके लिए नाग देवता का जो मूल मंत्र है जिससे आप नाग दोष से सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं उसके कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्र हैं मैं उनको आज बताता हूं आपको जिसमें एक मंत्र है ओम नागेंद्र नमः ओम नागेंद्र नमः मंत्र का जाप कर सकते हैं अपनी क्षमता के हिसाब से इससे दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति होती नाग शक्ति आपसे जुड़ एक नाग स्तुति मंत्र है जिसमें हम लगभग सभी प्रमुख नाग देवताओं का नाम जपते हैं वो इस प्रकार से है
नाग भय से रक्षा के लिए नाग स्तुति
अनंतम वासु किम शेषम पद्मनाभम च कमलम शंख पालम धत राष्ट्रम तक्ष कम कालि अम च तथा तानी नव नामानि नागा च महात्मानम सय काले पठत नित्यम प्रातः काले विशेषतः तस्य विषयम भ नास्ति सर्वत्र विजयी भवे। अर्थात यह जो नागों के नाम इनको अगर आप शाम के समय या सुबह के समय पढ़ते हैं तो सभी विषयों में आपको सफलता मिलती है आपकी सर्वत्र नाग गायत्री मंत्र इस प्रकार से है जिसको हम गायत्री मंत्र के रूप में जपते हैं वह है ओम नागराजा विद्महे शेष नागायक्षी मंत्र नागों का माना जाता है इसी तरह नाग पंचमी के दिन अगर आप विधिवत तरीके से नाग देवता की पूजा करेंगे तो नाग देवता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर पुष्प अर्पित करकर धूप दीप दिखाकर स्नान वगैरह कराकर शुद्ध स्थान पर पवित्र स्थान पर य साधना करें नागायक्षी स्थितियों को पूजा स्थान इत्यादि को स्वच्छ रखते हुए नाग देवता के सामने दीपक जला कर के आप विभिन्न प्रकार से उनका पूजन कीजिए मंत्रों का जाप कीजिए श्रद्धापूर्वक पवित्रता और शुद्धता बनाए रखें
नाग पंचमी से जुड़ी कथायें
नाग पंचमी से जुड़ी हुई कुछ छोटी-छोटी कहानियां जिसकी वजह से हमारे समाज में नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है इसमें पहली कहानी है भगवान श्री कृष्ण और कालिया नाग की कथा कहते हैं एक बार यमुना नदी में कालिया नाम का एक विषैला नाग था जो बहुत शक्तिशाली हो गया उसका विष यमुना नदी के पानी को जहरीला बना रहा था जिससे गांव के लोग और जानवर परेशान हो गए एक दिन भगवान श्री कृष्ण अपने बालसखा और गोपियों के साथ खेलते हुए कालिया नाग को उन्होंने फिर चुनौती दी कालिया नाग की फन पर नाचक उन्होंने उन्हें हरा दिया और यमुना नदी छोड़ने के लिए विवश किया समुद्र में जाने के लिए उन्हें मजबूर इस घटना के बाद यमुना नदी का पानी फिर से स्वच्छ हो गया और गांव वाले श्रप दन से सुरक्षित हो गए
इसी कथा के बाद से लोगों ने नागों की पूजा करना शुरू कर दिया था दूसरी कथा में हमें समुद्र मंथन की कथा मिलती है जब समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत निकालने के लिए समुद्र को मथा था इस मंथन के लिए वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया वासुकी नाग की विषैली स्वास से कई देवता असुर अचेत हो रहे थे लेकिन भगवान शिव ने उन सब का विष पान किया जिससे उनका गला भी नीला हो गया था और वह नीलकंठ कहलाए थे सर्पों ने अपने महादेव को इस प्रकार जहर को धारण करते हुए देखकर वह भी उनके गले में जाकर थोड़ा थोड़ा जहर पीने लगे और इसी कारण से कि जगत के कल्याण के लिए सर्पों ने विष को धारण किया था भगवान शिव की सहायता की थी इसीलिए से उनके महत्व में उनके सम्मान में लोगों ने तभी से नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करना शुरू कर
इसी तरह एक कथा आती है परशुराम जी और सहस्त्रार्जुन की कथा में एक बार भगवान परशुराम सहस्त्रार्जुन से युद्ध करने लगे इस युद्ध में सहस्त्रार्जुन के पुत्र ने परशुराम जी के पिता जमदगनिी को मार डाला था परशुराम ने अपने पिता का बदला लेने के लिए सहस्त्रार्जुन को भी मार डाला और उनके पुत्रों का भी विनाश कर दिया इसके बाद परशुराम ने नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी इस दिन उनकी पूजा करेगा सर्प दोष और सर्प दंश से उन्हें मुक्ति मिलेगी
इसी प्रकार एक साधारण सी कहानी आती है नाग कन्या की कथा एक कथा के अनुसार एक दिन किसान की बेटी ने को एक नाग ने डस लिया किसान ने नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विधिवत रूप से पूजन और अर्चना की फिर उनकी कृपा से नाग देवता प्रकट हुए और उन्होंने उनकी बेटी को जीवित कर दिया इसके बाद किसान और उनके परिवार ने नाग पंचमी के दिन से नाग देवता की नियमित पूजा करनी शुरू कर दी और इसके बाद से उन्हें सर्प दंश का कभी भी भय नहीं रहा
पांचवीं कथा के अनुसार नाग और सर्पों के बीच में शांति की कथा आती है इस कथा के अनुसार एक बार एक गांव में नागों और सर्पों के बीच में युद्ध होने लगा इस युद्ध के परिणाम स्वरूप गांव वाले बहुत परेशान हो गए एक साधु ने नाग वालों को नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने की सलाह दी फिर नाग की पूजा के लिए गांव वालों ने साधु की बात मान ली और इसी दिन से नाग देवता की पूजी करने शुरू कर दी इसके बाद नाग और सर्पों के बीच शांति समझौता हो गया और सारा गांव सर्प दंश से सुरक्षित हो गया इस तरह की हमें बहुत सारी कथाएं सुनने को मिलती हैं जिनके माध्यम से हमको पता चलता है कि किस प्रकार से नागों से हमारा अस्तित्व जुड़ा हुआ है वैसे आधुनिक जीवन के हिसाब से यह माना जाता है कि क्योंकि हमारी परंपरा वैदिक जो थी वो ग्रामीण परंपरा थी और उस वक्त खेती किसानी या इस सब में जो भी चीजें इन इस मौसम में बारिश के कारण सर्प अपने बिलों से बाहर निकल कर आ जाया करते थे उनके सर्प दंश से बचने के लिए और किसी प्रकार से किसी का अहित ना हो इसी बात को ध्यान में रखते हुए लोगों ने सर्पों की पूजा करना शुरू कर दिया और क्योंकि सर्पों का संबंध कुंडलिनी शक्ति से भी माना जाता है इसलिए सर्प शक्ति ना सिर्फ आपके अंदर कुंडलिनी ऊर्जा की तरह नाक की तरह वास करती है बल्कि सभी बड़े देवी देवताओं के साथ उनकी कुंडलिनी ऊर्जा के रूप में हम नागों को ही देखते हैं जैसे कि भगवान शिव के साथ उनके नाग को वासुकी को और भगवान विष्णु के साथ उनके शेष नाग को तो नागों का बहुत विस्तृत प्रभाव रहा है
हमारे यहां नाग शक्तियां और नाग लोक अद्भुत चमत्कारिक और विभिन्न प्रकार की सिद्धियां और शक्तियां देने वाला है और सबसे विशेष बात यह है कि कोई भी शक्ति का प्रयोग कीजिए लेकिन नाग शक्ति कभी भी अपना असर नहीं छोड़ती है और से कई उदाहरण है जब भगवान राम और लक्ष्मण पर सभी प्रकार की शक्तियों का वार मेघनाथ कर रहा था तो कोई भी शक्ति उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रही थी क्योंकि कोई भी शक्ति उन्हें नमन करती और अपना कार्य पूरा नहीं करती लेकिन जब उसने सर्प बंधन उन पर छोड़ा तब सर्पों ने अपना काम कर दिया और भगवान राम और लक्ष्मण जी बेहोश हो गए इससे स्पष्ट होता है चाहे कहीं का भी कोई भी क्षेत्र हो।
इसी तरह की कहानी हमें भारत में भी प्राप्त होती है जब अर्जुन ने समस्त नागों की जगह को जला दिया था तब उस बात का बदला लेने के लिए तक्षक नाग ने कर्ण के तीर पर बैठकर अर्जुन का वध करने की कोशिश की थी और इसके बाद परीक्षित के समय में भी यही कार्य करके पांडव वंश को समाप्त करने की कोशिश की इस बात से यह बातें स्पष्ट होती हैं कि नाग शक्ति कभी भी अपना वार छोड़ती नहीं है अपने कार्य को त्याग नहीं है इसीलिए नागिन का बदला बहुत ही ज्यादा तीव्र माना जाता है क्योंकि नाग शक्तियों का एक स्वभाव है कि अपने किसी भी कर्म को यह त्याग नहीं है अपने कर्म को किसी भी प्रकार से पूरा करते हैं और इसीलिए नाग शक्ति की विशेष वंदना की जाती है उनकी सिद्धियां प्राप्त की जाती हैं और उनसे विभिन्न प्रकार के दुर्लभ से दुर्लभ कार्य करवाया जा सक तो यह एक पर्व हमारे लिए वर्ष भर में मनाए जाने की एक व्यवस्था की गई है हमारी पत्रक परंपराओं से लेते हुए हजारों वर्षों से और यह परंपरा है नाग पंचमी के नाम से जाने जाने वाली और यह नाग पंचमी की तिथि में हम लोग उसी नाग शक्ति का वंदन करते हैं जिनके माध्यम से अभी तक न जाने कितने सारे दुर्लभ से दुर्लभ कार्य हो ।